क्या हमें एक दूसरे से नफरत करनी चाहिए?
पता नहीं।
मुझे सिर्फ इतना पता है कि हमें एक ही इंसान की
मासूमियत से प्यार हुआ था,
हम दोनों ने ही अपनी सारी हदें तोड़कर उससे प्यार करना शुरू किया था,
हम दोनों ने एक ही इंसान में प्यार ढूँढना चाहा था,
फर्क सिर्फ इतना है कि मैंने ढूँढा और तुमने पा लिया।
हाँ, मैं जानती हूँ कि अब मेरा उस पर कोई हक नहीं है,
हक है तो सिर्फ तुम्हारा,
पर उसके साथ बिताए उन पलों, उन यादों को याद करने का मेरा पूरा हक है।
हाँ, मैं जानती हूँ कि उसने मुझे छोड़कर तुम्हें चुना था
और अब मुझे इस बात का अफसोस भी नहीं है।
अच्छा, उसने तुम्हारे साथ कभी मेरा जिक्र किया क्या?
शायद नहीं।
क्योंकि तुममें वह सब बातें हैं, जो उसने मुझमें चुनी थी,
और शायद, शायद नहीं हाँ, उससे ज्यादा ही हैं।
मैंने कई बार खुद को तुम्हारी तरह बनाना चाहा,
पर अंत में यही पाया कि तुम तुम हो, और मैं मैं,
न कभी तुम मेरी तरह बन सकती हो,
और न कभी मैं तुम्हारी तरह।
मैंने इसी वजह से शायद खुद को तराशना शुरू किया था,
और खुद से प्रेम करना शुरू,
मैंने तुम्हारे कारण ही खुद से प्रेम करना सीखा,
और मैं इसके लिए तुम्हारी आभारी भी हूँ,
शायद ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी जीत थी,
और इसका आधा श्रेय मैं तुम्हें ही देती हूँ।
तो हाँ, मैं तुमसे नफरत नहीं करती।
पर ये एक बात तुम्हें बता दूँ
कि उन पलों कि आशा मैंने भी की थी