कस्तूरबा का हम सभी पर, है बहुत बड़ा उपकार।
जिसका युगों युगों तक होगा,ऋणी ये सकल संसार।
मानवता धन्य हुई जिससे, वंदन उस अवतार का।
आओ यशगान करें मिलकर हम यश की हकदार का।।
बाल्यकाल में भाग्य से बनी वो मोहन की राधिका।
नारी शिक्षा की हिमायती, सेविका, ईश साधिका।।
बनी गीत वो मानवता की, सुमधुर जय- जयकार का।
आओ यशगान करें मिलकर, अब यश की हकदार का।।
कर्म प्रभाव से लाजमी है गाँधी का पूजा जाना।
अर्धांगिनी बनकर बा को नींव में पड़ा समाना।
जीत मोहन की, परिणाम बा के पुण्य चमत्कार का।
आओ यशगान करें मिलकर, हम यश की हकदार का।।
पहले पहल मन डगमगाया, धीर डोला हो अधीर।
फिर अपनी सुध बिसरा दी जानी जन- मन की पीर।
स्वयं करके सिखलाया सबक, पर-सेवा उपकार का।
आओ यशगान करें मिलकर, हम यश की हकदार का।।
मोहन बाबू ऐसे ही तो नहीं बने थे महात्मा।
पग पग मग में संग संग डग बढ़ा रहीं कस्तूरबा।
सत्य अहिंसा की मुहूर्त की सच्ची मीना कार का।
आओ यशगान करें मिलकर, हम यश की हकदार का।
मानवता धन्य हुई जिससे वंदन उस अवतार का।
आओ यशगान करें मिलकर, हम यश की हकदार का।।
Comments
Good
Very nice …. superb poetry
Awesome 👍
Very nice