गेहूं की तरह दो सिलवट के पत्थर में पिस्ता चल
कुछ अच्छे कुछ बुरे अनुभव से सीखता चल
जो कमियां तरास्ते है तेरी, वो खुद तेरा गुर्ण गाएगा
घबरा मत। बस शब्र कर, तेरा भी वक़्त आएगा
तेरा भी वक़्त आएगा।
आज हवा ने जो रुख़ मोड़ी है वो लौटेगी तेरे जानिब
मेहनत कर खुदा खुद देगा जो तेरे हक में है वाजिब
दूसरों की छोड़ खुद पे भरोसा रख तो हर मुकाम पाएगा
घबरा मत। बस शब्र कर, तेरा भी वक़्त आएगा
तेरा भी वक़्त आएगा।
तन्हां वो चांद भी है फिर भी रौशन करता जहा को हरदम
मायुष ना हो अकेलेपन से बढ़ा सपनों के तरफ दो कदम
हिम्मत, हौसला और लगन से हर मुसीबत झेल जाएगा
घबरा मत। बस शब्र कर, तेरा भी वक़्त आएगा
तेरा भी वक़्त आएगा।
तू अपने बल-भूते हर मंजिल पाएगा
तेरा भी वक़्त आएगा, तेरा भी वक़्त आएगा।