हाल-ए-दिल तमाम पढ़वा देना उनको
मेरी कतबा-ए-मज़ार पढ़वा देना उनको
हुआ फ़ना एक और आशिक़ उनका
सुर्ख़ी-ए-अखबार पढ़वा देना उनको
बहुत देर कर दी आने में उन्होंने
खुली आँखों में इंतज़ार पढ़वा देना उनको
पा जाएँ मंज़िल अपनी जज़्बात मेरे
अनखुले ख़त हज़ार पढ़वा देना उनको
गर बचीं हो कुछ साँसें बाकी अभी
मेरा पैग़ाम-ए-इज़हार पढ़वा देना उनको