दरवाज़े पे एक दस्तक सी होने लगी है, क्या इस दिल को फिर से मोहब्बत होने लगी है?
करवट बदलते कटीं है बहुत रातें, क्या ये उदास आँखें फिर से सपने संजोने लगी है?
गुज़रे है काफ़ी दिन खमोशी में, क्या ये ख़ुश्क होंठ फिर से कुछ गुनगुनाने लगे है?
अब फिर से दबी दबी सी मुस्कुराहट चेहेरे पे रहनी लगी है,
अब फिर से किसी के ख़्याल से धड़कनें बढ़ने लगी है,
लगता है हमें फिर से मोहब्बत होने लगी है…