कहां से मिलते है शब्द कविता को
कहां से मिलते हैं शब्द कविता को
कभी यूं ही बादलों को देखकर
तो कभी पक्षियों की चहचहाहट सुनकर
कभी उगते हुए सूरज से
तो कभी चंद्रमा को निहार कर
कभी बारिश की बूंदों से
कभी किसी की मुस्कान से
तो कभी नजरों के दीदार से
कभी भगवान की भक्ति से
तो कभी हवा के छू जाने से
कहां से मिलते हैं शब्द कविता को
कभी खुशी के तो
कभी दुख के पल से
कभी प्यार के एहसास से
तो कभी किसी की बातों से
ऐसे अनेक शब्द जो मिलकर बनाते हैं
एक कविता
जो मिलकर बनाते हैं
एक कविता
ऐसे मिलते हैं शब्द कविता को
बस जो यूं ही निकल जाते हैं
दिल से और बनती है
एक कविता