Poem सपने By Ankita Singh on Thursday, August 26, 2021 सब कहते हैं सपने मत देखो,मैं कहती हूँ सपनो से सीखो। ख्वाब बिछा कर कोने में,बैठा रहा पर सोया नहीं,सोचा उठ कर प् लूं सबकुछ,जो छुपा रहा पर खोया नहीं। अंतर्मन तो जीत लिया,फिर चला मैदान को,चुनौती को चूम लिया,गले लगाया तूफ़ान को ! Previous Post Next Post Related Posts Poem कौन देखता है…..? Poem Get Lost In Life Poem Delusive Pain.. Illusive Hope