स्याही अगर मिली है तुझे तो तू शायरी लिखना, कलम अगर तेरे हाथ में है तो कविता लिखना, क्योंकि नसीब की लकीरे खींचने का अधिकार तेरा नहीं,
हाँ इतनी परवानगी है तुझे, छाप देना तू अपना दिल इस कागज पर ।
पन्ने पर लिखते लिखते सिलवटें आ जाए तो परवाह मत करना; तू फिर भी लिखना।
अपने जज्बातों को लफ्जों में बांधकर लिखते रहना; साफ दिखने लगेगा दिल,
तू उससे बात करते रहना।
ये स्याही ,कलम ,कागज पन्ने तेरी किस्मत का तो नहीं तेरी मुकम्मल- नामुकम्मल मोहब्बत का भार जरूर उठा सकते हैं।
बस तू अल्फाजों से गहरी दोस्ती बनाए रखना क्योंकि यही अल्फाज तेरा जवाब होगें।
अगर कभी जिंदगी में कहीं तू रुक जाए ना तो उसे कविता में ठहराव कहना,
जिंदगी थमी सी लगे तो उसे कविता में पड़ाव कह देना,
मन को कुछ अच्छा नहीं लगे तो उसे कविता में अलगाव कह देना,
कविता में दूसरों के विचार अच्छे ना लगे तो उसे मनमुटाव कह देना।
सिलसिला तारीफों का चलेगा,
हर शब्द तेरा वाह-वाही लूटेगा,
नज्मो की नजाकत रूह छू लेगी,
मन क्षण क्षण बावला नहीं हो उठेगा,
तू बस शब्दों की महफिले लगाता रहना अमन तुझे लूटना नहीं पड़ेगा।