The Foul Agony
By Tisha Vyas Reminiscing through all my furies cursed by the freedom of dreams, daylight vanishing in a glimpse of blink nightmares...
By Tisha Vyas Reminiscing through all my furies cursed by the freedom of dreams, daylight vanishing in a glimpse of blink nightmares...
By Shanaya Kacheria What are friends? some are loyal some stab u in the back, some leave your life leaving a crack. Why? Is what she used...
By Shanaya Kacheria She thought in the end he would leave her alone, now she has to ignore his stories on her iPhone. she stopped talking...
By Shanaya Kacheria Ravishing Diana and dashing Jack met at an art gallery, Chitter-chattering with glee. Bantering about a magnificent...
By Kaustubh Rajendra Dherge मैत्रीला न हवे बोल न कोणती भाषा । मैत्रीच पल्लवित करते नात्यांतील अनेक आशा ।। रक्ताचे नसूनही आपलेसे वाटावे...
By Kaustubh Rajendra Dherge बवंडर के बिना बारिश नहीं होती, बवंडर के बिना बारिश नहीं होती, उदास मत हो मेरे दोस्त, तुफानों के बिना जिंदगी...
By Kaustubh Rajendra Dherge खूबसूरत होते थे वो बचपन के पल, जिन्हे तुम कभी भुला नहीं पाते | चाहे कितनी भी कोशिश करलो वो दिन कभी वापस नहीं...
By Kaustubh Rajendra Dherge शब्द ना सुचे जेव्हा ना भावना व्यक्त होईल, तो क्षण म्हणजे “एकांत” स्वतःच स्वतःशी साधलेला संवाद म्हणजे “एकांत”...
By Kaustubh Rajendra Dherge कालच्या त्या वाटेवर अपयश आले आहे, तरीही उद्याच्या नवीन वाटेचे स्वागत कर, तु आता पुढे चाल || येतील रस्त्यात...
By Seema CK कृष्ण है स्रष्टा, तो राधा सृष्टि है सारी, ‘राधा-कृष्ण’-सी किस्मत मेरी ना लिख ए कृष्ण मुरारी, विरह-वियोग की इस तपती हुई आग में...
By Dr Madhavi Rambhau Bhagat पुढच्या जन्मी पाऊस चं व्हावा म्हणतीये मात्र बरसण्याने माझ्या शहारून जावे सर्व काही माझ्यावर ही व्हाव्या...
By Aashish Thanki फिर से सिर सहला दे तेरी गोद में सुलादे कान पकड़ के पास बिठा दे आज कल नींद नहि आती माँ भटक रहा पैसों की चाह में चोट जो...
By Aashish Thanki आखिर रूह छूट ही गई मिट्टि के ढेला सा तन जल गया और राख ही राख पीछे छूट गई आखिर रूह छूट ही गई समंदर की गहराइयों में...
By Aashish Thanki दे सकते हो थोड़ा वक़्त ही दे दो या फिर मेरे हाथ में हाथ ही दे दो ये भी ना दे सको एक मुस्कान दे दो या मेरे अधरों पे एक...
By Aashish Thanki पता था नहीं आओगे मुड़के कभी जिस मोड़ पे तुम मूजे छोड़ गये थे अकेला तनहा बेबस इस यक़ीं में की कभी तो गुज़ारोगे किसी...