Elegy For A Fallen Steed
By B.Murali Krishna A majestic soul, once full of life, Now lies still, in eternal strife. A bullet's cruel, deadly aim, Ended your life,...
By B.Murali Krishna A majestic soul, once full of life, Now lies still, in eternal strife. A bullet's cruel, deadly aim, Ended your life,...
By B.Murali Krishna We're celebrated, our stars shining bright. As long as we're productive, our worth's in sight. But falter we must,...
By B.Murali Krishna A bond of friendship, strong and true, Yet, in times of need, we turn anew. A friend lies dying, a family in pain,...
By Mahmuda Elias Dad, aren’t I just fifteen? Not somebody who’ll hold your screams; Not somebody who’ll fulfill your dreams. Dad, I have...
By Trijal Agarwal It’s not a disease or an illness so why to fear? If you are, then accept it that you are ‘Queer’! It’s not a sin to be...
By Raghul N M Not knowing her was fun Fun, where I don’t laugh at my ceilings My ceilings, in which earlier she does not appear Does not...
By Aakrati Garg कितना अजीब है मेरा ये लगना कि मैं पूरी हूं पर खुद में अधूरी हूं। कोई खास वजह नहीं है मेरे पास खुद को अधूरा मानने की। कोई...
By Amirtha Sreya S Everyday Every song I try to create All I write about is you. Everytime I try to close my eyes; Why is it you? And the...
By Anamika जन्म से जिससे नाता रहा, क्या उससे बताऊँ पहचान मेरी? वो जात, धर्म, वो जन्म भूमि? या उससे जो कमाया है मैंने, मेरे लक्ष्य,...
By Shudhanshu Pandey तेरे तर्ज-ए-अमल पर मैंने ऐतबार कर लिया, अपनी हर राज़ को तुझपर बेनकाब कर दिया| मुझे लगा कि मेरी भी कुछ अहमियत है तेरी...
By Shudhanshu Pandey ये दर्दों गम छुपा कर हम सुकूं से सो नहीं सकते, कभी जो रोना चाहे तो ये आंखे रो नहीं सकते। कभी तुम मांग कर देखो हम...
By Tanmaya Yenugu తాను- నేను ఏ పరిస్థితి అయ్యిన చిరునవ్వును పెదాల పైకి తెచ్చే నేను…...
By Shudhanshu Pandey कैसे करूं बयां तेरे इन गुस्ताख निगाहों को, पहली नज़र में जिसने मुझे मुझसे चुरा लिया। पर डरते है इजहार-ए-मोहब्बत से,...
By Shudhanshu Pandey अब क्यों लौटे हो? जब आंधियो में मुझे बिखेर गए थे तुम। अब क्यों लौटे हो? जब मेरी दुनिया वीरान कर गए थे तुम|...
By Shivansh Soni यह जो बूंदें बरस रही है आसमान से कभी रहती थी यही धरती पर जिन्हें प्रकृति में झूमता देख कर आसमां ने अपने पास बुला...
By Shivansh Soni रूठा मुझे यह जमाना क्यों है ? अपना ही शहर लगता बेगाना क्यों है ? जब मुसाफिर मान चुका हूं खुद को, तो यह दिल खोजता ठिकाना...