My Saviour
By Tanushka Bhaumik When I sit beside my window, As the moonlight shines the path, I’d think to go To your room made of lath, But that...
By Tanushka Bhaumik When I sit beside my window, As the moonlight shines the path, I’d think to go To your room made of lath, But that...
By Tanushka Bhaumik A letter to be written, but never to be told. In my chest I feel thousands of little people, jumping up and down. In...
By Akanksha Patil They told me, when he died, At thirty-eight I was a widow— A title heavy as the silence that swallowed the house whole....
By Payal Prajapati જગતની ઉત્પત્તિમાં સહકાર આપે છે, છતાં આ જગ સ્ત્રીને પડકાર આપે છે.. મનભાવક વ્યક્તિ એ કરમ કાજે છે, છતાં સ્ત્રીના કર્મોનો...
By Ridhima Giri माई रे माई रे मनवा में शोर बा, घरवा में चोर बा जाई कहाँ, माई रे हथवा दुखागइल सोने का कंगन ना चाहि माई रे माई रे माई...
By Shalini Sharma बहुत बुरा दर्द है आपके जाने पर होठों पर मुस्कुराहट रहती है और आँखों के कोनों में कहीं छिपे रहते हैं आँसू नींद नहीं...
By Aanchal Hassanandani कविता लिखने की कोशिश कर रही हूँ मन के बाग़ीचे में पेड़ों पर लटकें कुछ अध-पके भाव-विचार हैं उन्हें तोड़कर शब्दों में...
By Adarsh Singh न मैं उम्र देखूंगा न मैं धर्म देखूंगा उनको दंड देने को मैं सिर्फ़ कर्म देखूंगा ना मुझे स्वर्ण चाहिए ना मुझे स्वर्ग चाहिए...
By Adarsh Singh मैं मौन रहा सदा, सहते अपनी पीड़ा को। अब जब संकट आ पड़ा, तो कहते इतनी पीड़ा क्यूँ ? तेज चमकता आग का गोला फेंक रहा अब...
By Kavita Batra अब मुझे यह बता , मैं तुझपे क्या लिखूं, जीने की एक वजह लिखूं। जब टूट गये थे पूरी तरह से , उस मोड़ पे तेरा आना , वो...
By Kavita Batra हम सब कुछ करे बैठे हैं, यार के महफ़िल में, तलब - ए- दीदार मेरे होने का भी हो । मैं बोलूँ नहीं कुछ भी मगर , ...
By Kavita Batra मैं रहूँ सदा तेरा बनकर, बस इतनी सी अर्ज़ी हमारी है । यह बेवजह गले लगना , और बातों का सिलसिला हमेशा जारी रहे , ...
By Kavita Batra एक रविवार ऐसा भी हो , पूरे हफ्ते की भाग -दौड़ से थोड़ी ही सही , मगर राहत भी हो । थोड़ा सा आलस ,...
By Kabir Anand अनंत समुद्र की बहती लहरों को देख, अक्सर मन में कई बेज़ुबान ख्याल आते हैं, हर प्रश्न के उत्तर खुदसे अपने समक्ष स्वयं प्रकट...
By Kabir Anand मैं नहीं बताऊंगा तो समझ पाओगी क्या ? मेरे मन के अल्फाज़ बिन बताये पढ़ पाओगी क्या ? मेरे ज़ख्मों को भरना ना सही, पर तुम...
By Kabir Anand एक अनदेखा सन्नाटा सा छाया है, जाने कहाँ खुशियों को वे दफन कर आया है, जो सड़कें जगमगाया करती थीं हरदम में एक ज़माने में उन...
By Meghna Dash कैद करके क्यों, ज़ख्म को कुरेदती रही चीखती-पुकारती सवालों के कटघरे में, चीरकर मेरा दम क्यों ना तोड़-सी गई। अंजान ना था,...