Consoling Erwin Rudolf Josef Alexander Schrödinger
By Shruti Shah was anything ever mine? a thought that made my fingers rest on the bulging butcherable dandruff. three minutes into...
डर लगता है
By Ameera Baga मत आओ करीब मेरे, तुमसे बिछड़ने से डर लगता है। मत करो बातें मुझसे, रह जायेंगी बस यादें। मत बढ़ाओ कदम मेरी तरफ, तुम्हारे...
एक पुराना आंगन एक पुराना पेड़
By Rovel एक भले इंसान ने बड़े शौक से एक घर बनाया उसके तामीर होने में अपना खून पसीना धन लगाया , बच्चों के खेलने वास्ते एक बड़ा आंगन बनाया...
मानव बनाम रोबोट
By Chanda Arya सुना है, बहुत तरक्की कर ली है आज विज्ञान ने मानव हूबहू मानव से रोबोट बनाने लगा है, वही रंग, वही रूप, वही अनुशासन भरने लगा...
आवाजों में बातें किया करो
By Chanda Arya आवाजों में बातें किया करो मोबाइल में तो खबरें भी पढ़ते हैं, अहसासों का कौतुहल जगाया करो शब्द तो किताबों में भी छपते हैं।...
तुम कहीं न जाओ माँ
By Chanda Arya भोर का वो सूरज, माँ की बड़ी सी लाल बिन्दी सा लगता है........... तब पूरा आकाश ही माँ का चेहरा हो जाता है, फिर वो सूरज अपनी...
चाँद की लुकाछिपी
By Chanda Arya जैसे ही मुड़ कर देखा है अभी लगा यूँ चाँद खिड़की पर आया हो तभी, रेशमी हवाएं भी रुक गयी है सरसरा कर वहीं पत्तों की ओस से...
हिन्दुस्तान
By Ami Mehta सोने की चिड़िया कहते थे जिसको अंग्रेज़ों ने उसको लुट लिया स्वतंत्रता सेनानियो ने अपने बलिदान से हमारी ताकत का पुरे विश्व को...
क़ैद में है
By Devendra Shakyawar मेरी ग़ज़लों की अज़ादी क़ैद में है, देख तो, सब कुछ सियासी क़ैद में है। ज़ेहन में उसके मैं, मेरे ज़ेहन में वो, कौन...
किसको लिखूँ, किसको बताऊँ
By Deepika किसको लिखूँ, किसको बताऊँ सोचती हूँ क्या, ये कैसे समझाऊँ सुनो ज़्यादा बाहर मत जाओ , ये ठीक नहीं गुज़रता ना कोई दिन ऐसा, जब...
पहाड़ी और समंदर
By Devendra Shakyawar तुम मिश्री सी, मैं पानी सा, तुम मिश्री सी कठोर, पर मीठी मीठी मैं पानी सा आजाद, पर खारा खारा। तुम मिश्री की पहाड़ी,...
भारत का "रतन"
By Harsh Chaudhary वो हर दिल का अरमान, गरीबों का हमदम था। आज हमने वो खो दिया, जो भारत का "रतन" था, चले गए है वो दूर एक सफर पर, जहाँ से...
Fanaa (فنا)
By Manahil Wakil I take another step further into the sea The sand from the shore, slips beneath my feet There is chaos in every step...
एक तटरेखा भ्रम
By Stavya Vij खड़ी थी एक किनारे पर नीचे रेत, सामने, सूरज ढलने पर। पानी का बहाव, सिरक गई रेत देखूं अपने पदचिह्न, एकाग्रचित। पानी का बहाव,...
बरसों से (Barso Se)
By Shreya Paul लिखती हूँ उनका एक ख्वाब नजरों से बनता जा रहा है वो उपन्यास बरसों से। तू तोड़ता कुचलता रहा शब-ओ-रोज़ लगता है कि मेरा दिल...