The Last Lesson
By Saumya Chawla I was seven years old, When I hid behind a couch, And ate a whole tub of salt. I vomited all night that day, But i...
By Saumya Chawla I was seven years old, When I hid behind a couch, And ate a whole tub of salt. I vomited all night that day, But i...
By Saumya Chawla Holding back tears in the classroom because you don't want to appear weak, Holding back your laugh because you don't...
By Saumya Chawla Your smile now, a memory to be cherished. Our laughter, now that sounds haunted. The memories spent, now starts to...
By Saumya Chawla Rona koi kamzori to nhi. Ham bolte to hai ki ladke rote nhi, Par kyu ham apni umeed un par thopte h? Kyu ham "log kya...
By Sampada Kulkarni जब सुनने वाला कोई नहीं और सुनाने वाले हजार हो, तब खामोशियां अच्छी लगने लगती हैं। जब कहने वाले लाख हो पर हम कुछ कह न...
By Sampada Kulkarni क्यों है डूबा सोच में तूने क्या खोया क्या पाएगा जो होना था वो हो चुका जो होना हो, हो जायेगा। क्यों लड़े अंधेरों से...
By Shudhanshu Pandey ज़ालिम सी इस दुनिया में शराफत हमको ले डूबी, कोशिश थी ख़ुश रहने की तेरी चाहत हमको ले डूबी। ना कोई प्यारा लगा तुझसे ना...
By Shudhanshu Pandey तेज़ है उसमें सूरज सा शीतल वो चांद के जैसी है, त्याग में है संतोषी मां वो, रूप में रंभा जैसी है। जिह्वा पर मां...
By Shudhanshu Pandey ये एक फूल से बच्चे की कहानी है, जिसके एक मुस्कान पर दुनिया दीवानी है। वह जैसे सौंदर्य का भंडार, प्रकृति का...
By Sabeeha Banu A herd of healers sharpening their gear Examining the expectant mother with a diligent glare A shadowless lamp lit...
By Prashant Sachan Nahi hai jo kuch kehne ko… To Rehne do phir aaj, Mt Karo phir se wo, Dil dukhane waali baat. Chhayi kaisi hai ye, ...
By Prashant Sachan Ek insaan jo sabki madad krne ke baad bhi, jab kuch asaantust rehta hai… Bhavnaayein is prakhar yakt krta hai…. ...
By Payal K Suman कृष्ण और कृष्णा की गाथा मुझको तुम्हें सुनानी है एक द्वारकाधीश बने दूजी भारत कि साम्राज्ञी है। जन्म हुआ था यज्ञ से उसका...
By Prashant Sachan कभी कभी बस यू ही, कुछ थक कर मैं बैठना चाहता हूँ, कुछ पल अपने साथ , सिर्फ अपने साथ ही मैं चाहता हूँ, अकसर हो जाती है...
By Prashant Sachan अब वैसी कुछ बात नहीं, अब वैसी कुछ बात नहीं, बन्दिशों मे पिजरे सी जिंदगी, अब वैसी आजाद नहीं, कद्र नहीं अब किसी को किसी...
By Prashant Sachan सोच है सबकी बटी हुई सी, पर हर तरकश में कुछ ना कुछ है, कोई आगे चलकर खुश है, कोई पीछे चलकर खुश है। सेहमी हुई सी डरी हुई...