इश्क और दुलहेड़ी
Rated 5 out of 5 stars.(6)By Hemu Vikramaditya दुल्हेंडी की सुबह हुई एक दिन पहले चुन चुन कर लाये हुए रंग छुपाकर रखी हुई जगह से निकाल लाये गए। तीन दिन पहले दोस्तों...
By Hemu Vikramaditya दुल्हेंडी की सुबह हुई एक दिन पहले चुन चुन कर लाये हुए रंग छुपाकर रखी हुई जगह से निकाल लाये गए। तीन दिन पहले दोस्तों...
By Hiral Kothari I can only hope that no-one goes through the same gloomy path that I went through. But this is impossible, I guess. Once...
By (Pen Name - Smilefromwithin) Baar kuch yun ki, Ashiqui ko ki tarah hum bhi ek mehfil mei chale, Akele nhi tauba tauba, apni kahani ko...
By Varsha Neeraj Chaudhary आज पुनः लिखने की इच्छा हुई तो लगा कि अब आरम्भ कर देना चाहिए। वैसे जब मै सुबह उठी थी,तभी से मन मे बहुत से विचार...
By Sahiba Kamboj “Good morning viewers, Isn’t it strange when you realize that your life is controlled by a person who doesn’t exist?...
By Harsh Dutt Pandey [The story runs parallel with God's perspective and the perspectives of the two leads.] The scene opens and we see...
By Kapil Khanna Premise A small innocent kid asks a passing milkman for milk,money and stone for three consecutive days on denial of...
By Anbarasi Selvakumar (Saha) With each passing day they grew closer to each other, even unspoken they couldn’t be distant from each...
By Kishor Ramchandra Danake आज बुधवार की शाम थी। मैरी सुबह से परेशान अपने बिस्तर में ही पड़ी हुई थी। अक्षदा और प्रज्ञा आज स्कूल नहीं गए...
By Kishor Ramchandra Danake सोमवार रात का वक्त था। दोपहर को फादर अपने परिवार के साथ आज बस्ती के लोगों से मिलने आए हुए थे। चर्च के कुछ...
By Kishor Ramchandra Danake आज सोमवार का दिन था। सुबह के १० बजे थे। बस्ती में सब अपने अपने काम में लग चुके थे। विलास और रोशनी अपने खेत...
By Kishor Ramchandra Danake सुबह के ९ बजे थे। धूप निकल चुकी थीं। लेकिन फिर भी शरीर के ऊपर ठंड का हलका सा कांटा मैरी को महसूस हो रहा था।...
By Kishor Ramchandra Danake शाम के ७ बज रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी। बस्ती में बोहोत ही शांति और सुकून का मोहोल था। मैरी ने अपने जिंदगी...
By Kishor Ramchandra Danake “पापा! आप जल्दी लौटोगे ना?”, मैरी ने अपने पापा से कहा। मैरी की आंखे अब आसुओं से भर गई थी। “हा बेटा! मैं जल्दी...
By Devesh Shrivastava "वो मोड़ याद है तुम्हें, जहां हम रोज़ सुबह जलेबी खाने जाया करते थे। क्या वो झील का किनारा याद है ? क्या वो बारिश...