कभी वोह सही थे, कभी हम गलत।
कभी हम सही, और वोह गलत।
कभी सब सही था, पर हालात गलत।
कभी हालात सही, पर वक्त गलत।
गलत और सही के चक्कर मे, हसी नही रही।
मंज़िल थी दूर कही, पर बिछड गये राही।
नजरिया बदल गया, दो इन्सान थे वही।
हर वक्त, हर बात तो, नही हो सकती मनचाही।
मौके मिले कई, शुरुवात भी की थी नई।
पर टुटे शिशे की, जैसे कहानी सच हुई।
छोटे हुए दिल, जिनमे गलतीयां नही समाई।
फिर ईक तरफ था कुवा, दुजे तरफ गेहरी खाई।
:- मोहित केळकर