क्या संजय तुमने देखा, ये कुरुक्षेत्र का प्रांगण?
मैं विस्मित हूं, मैं चौंक गया यह देख विजय का तोरण।
इतिहास कभी जब प्रश्न करेगा मुझसे,
क्या होगा मेरा न्याय, महासमर से-
क्या मिला मुझे? दुर्योधन का हठ पाला,
साम्राज्य बचाने हित मैंने कर डाला-
अपने अनुज सुतों पर अन्याय, हुआ है मुझसे,
अधिकार मिला था मेरे भाग्योदय से।
ये महासमर पहुंचा है, अब ऐसे पड़ाव पर,
कुछ न बचेगा शेष, बचेगा केवल पत्थर।
राजन की सुन बात, कहा संजय ने,
कुछ नहीं बचा है अब, इस महासमर में।
ये मेरा आग्रह नहीं, कभी इतिहास करेगा,
क्या आने वाला काल? नहीं परिहास करेगा?
चीर हरण, लाक्षागृह, ने लाया विनाश,
परिणाम हुआ हस्तिनापुर का सर्वनाश।
पर एक प्रश्न है, महाराज?पाकर विजयश्री का प्रसाद,
अब कौन करेगा राज? कौन सा सुख भोगेगा,
इस महासमर के बाद युधिष्ठिर, क्या तोलेगा?
क्या विधवाओं पर राज युधिष्ठिर कर पायेंगे?
या बचे नहीं जो वीर उन्हीं का गुण गायेंगे।
Comments
Beautifully penned ,such lines are inspiring
Very nic ….loved it .
Great one..