By Swagata Maji
दुनिया में रहते हैं लोग कई,
पहनकर सब पोशाकें नई,
पर वो औरत जो सालों से,
ढकी हुई है पुराने वस्त्रों में,
याद करती है पुराने लम्हों को,
वो और कोई नहीं बस है एक माँ,
उस जैसी औरत दुनिया में कहाँ ?
उस जैसी औरत दुनिया में कहाँ ?
जीवन जिसका दीये जैसा,
त्याग बिना कोई मोल नहीं,
खुद जलकर जो रौशनी ना दे,
वो दीया अनमोल नहीं |
आँचल में जिसके ममता हो भरी,
सौभाग्य है जिसके विपक्ष में खड़ी,
जिसके सामने है झुकती ये दुनिया सारी,
वो है बस एक माँ हमारी |
वो है बस एक माँ हमारी ||
By Swagata Maji
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