By Arushi (Aru Shan)
मालिक कौन मुलाज़िम कौन
यहां हर परिंदे के पैर एक डोर में बंधे हैं
शाज़िम क्या उदासी क्या
हर जज़्बात हमसे पहले हज़ारों ने टटोलें हैं
गिरफ़्त किसकी गिरफ़्तार कौन
बाज़ी इश्क की - सबने हिस्से बांट रखे हैं
कड़ियां क्या हथकड़ियां क्या
पहना तो समझा सारे एक ही लोहे के ढले हैं
तारीफ़ किसकी तरफदार कौन
उन्होंने लफ्ज़ हमारे हक़ में कहां लिखे हैं
मिन्नत क्या मनौती क्या
हर ज़ख्म कमीज़ पर कितनी बेहयाई से उभरे हैं
नकाबी कौन फरेबी कौन
उनकी रुसवाई के तमाम हद ज़माने में उल्टे ही छपे हैं
दायरा क्या सरफिरी क्या
लकीरों की चादर पर फक्त हम नहीं सोते हैं
By Arushi (Aru Shan)
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