By Akshay Sharma
हाँ मैं..मुझसे ना, लगता है दूर
ढूंढें फिर से ना...रिहाई
मिरे सीने में धड़का फ़ितूर
होगी फिर से ना रुसवाई
जीत...साने'-ए-तक़्दीर की
वो दूर जो, दिखती है मेरी।
हुए थे मजबूर, बाँटने को शोर
हुई थी मशहूर...मनाही
दिन सवेरे लड़, इल्हाम पाया जो
किसी से न अब हक़-लड़ाई
जीत...साने'-ए-तक़्दीर की
वो दूर जो, दिखती है मेरी।।
By Akshay Sharma
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