By Hemant Kumar
जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं
हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं
शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किया है
शिक़ायत यही है हर टुकड़े में समाया , वो मेरा पिया है
सितमगर है सनम सितम ढाने में कोई ना कसर छोड़ी है
हमने भी रंज ओ गम सहने की सारी हदें तोडी है
गिर के संभाला हु फिर से उसी राह चला हु मैं
ज़माने में ना मिलेगा वो दिलजला हूँ मैं
By Hemant Kumar
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