Mar 10, 20231 min readPitaRated 0 out of 5 stars.No ratings yetBy Sanket S. Tripathiइन ऊचाईयों का श्रेय केवल मेरे शीश को ना दे पर्वत,पैरों के छालों से बनी ये विजय माला है;मुझे जाड़े की सर्दी छू ना सकी मेरे,पिता ने अपने सपनों तक का अलाव बना डाला है।By Sanket S. Tripathi
By Sanket S. Tripathiइन ऊचाईयों का श्रेय केवल मेरे शीश को ना दे पर्वत,पैरों के छालों से बनी ये विजय माला है;मुझे जाड़े की सर्दी छू ना सकी मेरे,पिता ने अपने सपनों तक का अलाव बना डाला है।By Sanket S. Tripathi
Shayari-3By Vaishali Bhadauriya वो हमसे कहते थे आपके बिना हम रह नहीं सकते और आज उन्हें हमारे साथ सांस लेने में भी तकलीफ़ होती...
Shayari-2By Vaishali Bhadauriya उनके बिन रोते भी हैं खुदा मेरी हर दुआ में उनके कुछ सजदे भी हैं वो तो चले गए हमें हमारे हाल पर छोड़ कर पर आज भी...
Shayari-1By Vaishali Bhadauriya इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है भले ही वो बेवफा निकला हो पर उसने मेरी किस्मत बदल...
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