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Pita

By Sanket S. Tripathi



इन ऊचाईयों का श्रेय केवल मेरे शीश को ना दे पर्वत,

पैरों के छालों से बनी ये विजय माला है;

मुझे जाड़े की सर्दी छू ना सकी मेरे,

पिता ने अपने सपनों तक का अलाव बना डाला है।


By Sanket S. Tripathi



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