By Tannu Kaushik
सूखे खेत, सूखी नदियां,
गर्मी में धूप का प्रकोप छाया।
अकाल ऐसा आया,
महामारी संग लाया।
खेतों में खलियान नहीं,
पशु-पक्षी को दाना-पानी नहीं।
बीज बोए है खेतों में,
पर सींचने को पानी नहीं।
महंगाई ने कोहराम मचाया,
साहूकारों ने भी रोब जमाया।
मजदूरी से दो आना कमाया,
दवा-दारू और सेठो का ब्याज चुकाया।
महंगाई-महामारी मजबूरिया ंबनी,
खाने को अब दाना-पानी नहीं।
सूखे कुएं, सूखे तालाब,
गांव में मचा हाहाकार।
पशु-पक्षी अध-मरे से हैं,
भूखे-प्यासे लोग मजबूर से हैं।
अब इंतजार है तो किसका- बारिश या मृत्यु ?
By Tannu Kaushik
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