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इश्क

By Gurnam



इश्क क्या शे है तुमको क्या पता क्या खबर,

जब तुझे इश्क किसी से हुआ ही नही!


लाश मेरी कविता की दफन कियाबों में है,

तूने होंठो से वो पन्ना छुआ ही नहीं!


उठी चिंखे मेरे हाथों से तेरे होठों के निशानों की,

उठा मेरी चिता से सिर्फ धुआं ही नहीं!





वो कितना वाकिफ है उस खुदा की मर्जी से,

तेरे चेहरा यूं है जेसे कुछ हुआ ही नहीं!


गले से भी लगाओ मुझे, दिल को ठारस देनी है,

काम आती सिर्फ बंदे के तेरी दुआ ही नहीं!



By Gurnam





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