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इश्क

Updated: Apr 6, 2024

By Avaneesh Singh Rathore


इश्क पैमानों से करूं

इतना महान भी नहीं हूं

कोई कसर कैसे छोड़ दूं

किसी मयखाने में नहीं हूं


कोई कीमत कैसे लगा दूं

किसी खरीद फरोख्त में नही हूं

मैं मोहोब्बत बेहिसाब करता हूं

इश्क है , व्यापार में नहीं हूं


तुम उम्मीद तो हमेशा से हो

कभी ज़िद बनाने की सोची नहीं

जो सोच भी लूं कि कायनात हो

पर बिछड़ने की सोची नहीं



बदनाम मेरी मोहब्बत क्या

कान्हा को बंसी भी है

कैसे बन जाऊं महान मैं

अभी तो मीरा भी पावन है नहीं


दस्तक देंगी दुहाई भी

मेरे अज़ीम हो तुम जानते हो

ये कहानी गूंजेगी कायनात में

सब सुनेंगे बस तुम नहीं


दरखतों के साए में

हम बहुत रोया करते थे

अब वही सुकून है

लेकिन जज़्बात बह ही जाते हैं


By Avaneesh Singh Rathore



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