By Prabhneet Singh Ahuja
आज लिखा है ख़त तुझे
बोलने को बहुत है
कायर ज़ुबान
साथ देती नहीं।
बयां कर भी दूं मैं
तुझे सुनना नहीं।
आंखें बंद कर ख़त पढ़ती है मेरा
कहती, तुमने कुछ बोला ही नहीं।
मैंने फिर बोला ही नहीं।
आज ख़त लिखा था तुझे
डाकिया भी आया था।
बोलने को बहुत था,
कायर ज़ुबान
साथ दिया ही नहीं।
By Prabhneet Singh Ahuja
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