By Aahish Anilrao Deshmukh
राते जाग जिन सितारो को, कांधे पर उतारा है...
खाक की है चमक उसमें, खाक का ही तारा है...
खाक ही है वजूद हमारा, खाक ही है गंतव्य भी...
खाकी की आन में, खाक हो जाना कर्तव्य भी...
खाक हमारी धडकन में, है एल्गार लगाती मुंडो में...
खाक बढते कदमों में, खाक फडकती भुजदंडो में...
खाक से ही बना हुआ मैं, खाक से ही लिपटा हू...
पुनः पुनः खाक होने, मां के आंचल में सिमटा हू...
By Aahish Anilrao Deshmukh
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