By Nishant Saini
पता तो होगी ही तुम्हें मेरी कहानी,
अगर नहीं तो सुनो नाम है मेरा "पानी"।
हां वही जो इस धरती के कण कण में है बस्ता,
कीमती बहुत फिर भी बड़ा है सस्ता।
जिसके बिना थप पड़ जाए तेरी हर कहानी,
हंजी वही जो मिटाता है तेरे दिल ओ गले की बेचैनी।
पर अफसोस इतनी जरूरत के बाद भी कोई मेरी कीमत नहीं समझता,
अभी पास हूं तो कोई मेरे बारे में नहीं सोचता।
अगर ना रहूं मैं तो तेरी जुबान तक से ना निकल पाए कोई भी वाणी,
मेरे बिना तो शायद गंदगी ही रह जाए तेरी रानी।
ना मिलता तुझे तो कैसे तू जिंदा बचता,
मेरे बिना कैसे तू सुविधा के साधन रचता।
बस ये ही कहूंगा ऐ भीड़ हो जा तू थोड़ी सयानी,
वरना जल्दी खत्म हो जाएगी तेरी मेरी यह कहानी।
By Nishant Saini
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