By Smile From Within
अक्सर लोगों को पहली नज़र में प्यार होता है,
पर मुझे कुछ मुलाकात लगी,
पहली तो बस यूही मुलाकात थी,
नज़रो से नज़रे मिली,
ज्यादा तो कुछ नहीं एक अहसास हुआ,
वो प्यार था या नहीं इसीलिये दूसरी मुलाकात हुई,
दूसरी मुलाकात भी कुछ ज्यादा नहीं बस एक छोटा सा ख्वाब आया,
तुम हो में हूं या समुंदर किनारे हमारी बातें हो,
अगले दिन फिर सोचा क्यों ना एक मुलाक़ात या हो,
धीरे धीरे किछते चला तेरी ओर आया,
काश-म-काश में था कि मनौ तुझे कैसे कि मुलाकात एक या हो,
आखिर कर हिम्मत जुटा कर एक बार या मिलने की बात की,
लगा कुछ ऐसा बात करके की यही मेरी चाहत थी,
फिर आया वो लम्हा मुलाकात का,
तुझे देखा तो पहला खात जो लिखा था वो याद आया,
जो सोचा था किसी को मगर कोई उसके काबिल ना बन पाया,
फिर जाके मुझे यकीन आया कि ये पल दो मुलाकात के कितने हसन हैं,
कि हर एक लम्हा अब बस तुझ संग बीताना है,
फिर क्या हर रोज़ मिलना का कुछ नया बहाना बनाया,
धीरे धीरे तुझपे ये प्यार बरसात,
बिन कुछ बोले इजहार भी थोड़ा थोड़ा जटाया,
अब सोचा जाके क्यों इतना वक्त लगाना है,
तुझे धीरे धीरे अपना क्यों बनाना है,
बस फिर क्या ये थोड़े थोड़े लफज लिख के धीरे धीरे से,
इसी पल में अपना बनाना है,
इज्जत मांगलू तुझपे हक जमाने की,
आख़िर तुझे भी थोड़ा थोड़ा इश्क तो है ही मुझसे,
तेरा यूं मुझे देख के मुस्कुराना,
यूं तेरा नजरे झुकना मेरी छोटी छोटी तेरीफो पे शर्माना,
तू हां कर या न कर तेरा इंतजार रहेगा,
ज्यादा तो नहीं कर सकता मगर जब तक सांसे है तब तक अगर रहेगा...!
आज भी सोचता हूं उस पल के बारे में जब ये सब तुझे बता दिया था,
ख्वाब कितने छोटे छोटे पूरे कर गए आज भी याद है,
खैर जाने दो इस वक्त की बात कुछ और है,
अब तुम रहोगी मेरी हमेशा जैसे अब तक हो बस इस बात का एतबार है,
ज्यादा तो कुछ नहीं कहा पाया आज भी,
वही लफ़्ज़ वही इशारा है,
बस थोड़ा इश्क हमारा याद है...!
By Smile From Within
Comments