By Pratibha Kapoor
आप से मैं निकली हूँ
मगर आप तो मैं हूँ नहीं
आप का ही हिस्सा हूँ
मगर आप नहीं हूँ मैं।
आप की ये हार नही
ना कोई जीत मेरी है
बदलते हुए समय ने
यह लकीर खींची है।
प्यार कम होता नहीं
प्यार बढ़ ही जाता है
समय के साथ हर एक को
अपना रास्ता बनाना है।
कुछ दूसरों के पैरों पे
कदम रख चलते हैं
कुछ अपनी ही रूख
बदलते हैं
हर एक किसी मकसद से
इस जहां मे आता हैं।
आप ही से निकली हूँ
आप का ही अंश हूँ
दिल पे घाव आप के
दिल दुखे मेरा भी
प्यार मगर कम नही।
दुआ मेरी रब से है
रास्ते अलग तो क्या
प्यार हम सदा करें
जब तक जहां रहे
आप ही से निकली हूँ
आप ही की बेटी हूँ।
By Pratibha Kapoor
Heart