top of page

Aasu Ka Mala

By Vutukuri Vichitravi


दुनिया के नजरे सिर्फ आंखों के काजल पर ही जाते हैं |1|


जो आंखों का परदा हैं |2|


लेकिन एक बार चापके तो देखो छुपा हुआ गहरी राज़ दिखेगा गगन कि तरह |3|


मिले तो हजारों ग़म, बस तेरा वादा भूल ना सकि |4|


उलझनों के दागों में बंधि हुं बस तु ही डोरी खिचता हैं |5|


जितना भी चाहु दिल से तेरे लिए सिर्फ दुआ हि निकलति हैं नफरत का धडकन नहीं |6|



शंकर के गले में विष जैसा ना पियू तो मेरा संसार ही नहीं रहेगा |7|


गौरी न बन सकता तो क्या, देवता बनके प्रधान करो कोई |8|


पर यूंही विष सर्प जैसा विष से भरा दिया मुझे |9|


विश निकलु तो मुझे खोंसते है |10|


और सब से दूर अब सूरज की तरह जलने लगे हम अंदर ही अंदर |11|


सब को रोशनि मिलती है हम से |12|


सबको रोशनी देते-देते कब हम गले लगाया अंधकार को पता ही नहीं चला |13|


मेरे वो गले का हार है जो नयनों के मोती से बना जिसकी कीमत कोई चुका ना सका |14|


दिलचस्पी है सबको कि, गले को कोई सुना नहीं हो ने दिया |15|


ना मन को शांति मिली |16|


ना दिमाग को ठंडा होने दिया |17|


सहते रहे पर क्यू भया ना कर पाये |18|


सांसें तो चलते, मगर हूँ एक शव की तरह |19|


आज कल जीवन सती बिना शंकर जैसा है |20|



हसी राम के बिना अयोध्या |21|


अब चलते चलते इस मोड़ पर आ चुके अशोक वाटिका के सीता जैसा |22|


हमारी खुशी बिन रंग के होली है |23|


हमारी इच्छा ऐसे बच्चों के खिलखिलाहट बिना घर के आंगन |24|


उम्मीद है गगन की गहराई तरह |25|


पर होता वही बिन सूरज के सूरजमुखी |26|


बना अंधकार में चांद सबके और पाया खुद को तन्हा |27|


इतना झेला, अब बादल की तरह बरसते हैं हम |28|


भीगते हुए मिली खुशी सबको |29|


पर मैं, नजरों में सबके सड़क के कीचड़ ही हूँ |30|


ऐसे हो गई हूँ अमावस्या के चांद |31|


वो जो कभी किसी का सपना हुआ करती थी |32|


खाली कलम हूँ जिस में सुख का स्याही था कभी |33|


जो कभी आशा के पन्नों से भरे रहते थे |34|


आज सजाने के लिए किसी कलाम में स्याही ही नही रहा |35|


इतना बया किया कोई नज़र ही नहीं पैढा हमारी किताब पे |36|


ऐसे नजरअंदाज किया जैसे कोई धूल हूँ |37|


ना जाने क्यों हमारी रेलगाड़ी दुख के पटरी में चलती है हमेशा |38|


आखिर सबके नसीब ,कहा है हीरे पाने की |39|


By Vutukuri Vichitravi



74 views12 comments

Recent Posts

See All

The Wake-up Call

By Juee Kelkar When the silence slowly engulfed the noise as the sun grew dull in the village of Sanslow, a little girl, accompanied by...

Act

By Vidarshana Prasad You are the main act.    We are put on the stage before we know it. It's too late to realize that we've been there...

The Plant Analogy

By Vidarshana Prasad A plant that is used to being watered and nurtured, cared for and loved, is suddenly left alone in the desert. With...

12件のコメント

5つ星のうち0と評価されています。
まだ評価がありません

評価を追加
SHYAM SAKHI
SHYAM SAKHI
2023年10月15日
5つ星のうち5と評価されています。

😀

いいね!

reethika consultants
reethika consultants
2023年10月01日
5つ星のうち5と評価されています。
いいね!

Hu Uy
Hu Uy
2023年9月29日
5つ星のうち5と評価されています。

Super

いいね!

不明なメンバー
2023年9月29日
5つ星のうち5と評価されています。

Emotional

いいね!

Vutukuri venu gopala gupta
Vutukuri venu gopala gupta
2023年9月22日
5つ星のうち5と評価されています。

Sad

いいね!
bottom of page