By Prashant Sachan
अभी तो देखा है उनको
अभी इक झलक पायी है।
अभी - अभी इक प्रेम की
छोटी सी आहट आयी है।
सौंधी सी खुश्बू की तरह
वो मन मंदिर में छायी है।
फूलों की माला जैसी
उर के समीप वो आयी है।
अभी तो देखा है उनको
अभी तो रोशनी आयी है।
ख्वाबो के मौन अंधेरों में
मोम सी वो जगमगायी है।
खामोश पडे इस चेतन को
सजग बनाने आयी है।
जीवन की नयी दिशा सी
सब महकाने आयी है।
By Prashant Sachan
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