By Shudhanshu Pandey
तेरे तर्ज-ए-अमल पर मैंने ऐतबार कर लिया,
अपनी हर राज़ को तुझपर बेनकाब कर दिया|
मुझे लगा कि मेरी भी कुछ अहमियत है तेरी जिंदगी में,
पर तूने अपने गुरूर को सर का ताज़ कर लिया।
आते रहे तुम करीब धीरे धीरे,
आ गए जो हम तुमने किनारा कर लिया।
तुझे पा कर लगा मेरी खोज़ पूरी हुई,
पर तूने तो सहारा दे कर बेसहारा कर दिया।
सुलूक मोहब्बत वाले और नाम दोस्ती रख दिया,
पहले तो रूह फिर जिस्म को भी छू लिया।
हां ये सच है मैंने भी तेरा साथ दिया लेकिन तुझे खोने के डर से,
हमने पहले भी बरबाद किया तुमने थोड़ा और कर दिया।
By Shudhanshu Pandey
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