By Monika Sherawat
एक लड़की ही तो थी वो,
ता-उम्र ज़माने की नजरो से छिपती रही वो।
मजबूर नही थी वो,
बस बुरी नजरो से बचती रही वो।
एक लड़की ही तो थी वो।
कब तक परदे में रहती वो।
खुदा की प्यारी थी,
खुदा ने उसे बक्शे थे नायब पंख जो।
उड़ान लिए फिरती रही उस खुले आसमां की वो।
अच्छाई का नकाब पहन कर आए बेरहम लोग थे वो।
इस ज़माने से अंजान थी वो।
यकीन कर बैठी नादान, नासमझ थी वो।
पंख काट दिए उसके क्योंकि,
एक लड़की थी वो।
By Monika Sherawat
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