By Rangoli Vaish
बात अभी कुछ 15 दिन पहले की है लगभग दीपावली के २ दिन पहले की . . हमारी बहन को बेटी हुई थी सैफई में और हमें अपने शहर फैजाबाद से वहां पहुचे कुछ जिम्मेदारियों से रूबरू होने को ,वहां दिन बहुत व्यस्त होते थे और राते भी क्युकी माँ और बेटी दोनों की देखरेख हमें करनी थी . . जैसा की वहां का रूटीन था की जो मरीज समर्थ न हो उन्हें दिन और रात दोनों समय खाना मिलता था हॉस्पिटल से ही साथ ही साथ खाना खाने के बाद जूठी थालिया भी मरीज़ को स्वयं धुलनी होती थी या उसका कोई परिजन भी उन्हें धुल कर रख सकता था. . हम वार्ड के सामने पड़े बेड पर बैठ कर ये कार्यक्रम देख रहे थे इतने में एक औरत भी अपनी जूठी थाली धोने आई उसकी चलायी हमे थोड़ी असमान्य लगी तो और आसपास वाले लोगो की खुसुरफुसुर सुन कर जो बात सामने आई वो ये थी की वह औरत जिसकी उम्र २३ साल से ज्यादा नही रही होगी वो HIV एड्स से पीड़ित है उसका पति ट्रक ड्राईवर है उसी के कारण ये बीमारी उस औरत को मिली है और उसके परिजनों में कोई भी उसके साथ नहीं है एक बाप भी है उस औरत का वो भी अपाहिज. . इसलिए वो अपने सारे काम खुद करती है,
जहाँ पर उस औरत को एक बेटा हुआ है जिसका जन्म 6 महीने में समय से पहले ही हो गया है और वो बच्चा आईसीयू में भरती है और तीन महीने तक वो वही रहेगा. कुछ सो काल्ड पढ़ी लिखी औरते उसे देख कर लिपस्टिक से ढके होंटो को सिकोड़ कर ऐसा मुंह बनाती थी जैसे उस औरत के एड्स से होने वाले सारे कीटाणु उन्हें ही दूषित कर रहे हो . . हॉस्पिटल सरकारी था और सारी सुख सुविधाओ से लैस शायद उत्तर प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल से ज्यादा अच्छा इसलिए वहा पर इलाज का खर्चा कुछ भी नहीं था बस यही एक बात हमें अच्छी दिखाई दी की उस मजबूर औरत को कम से कम इस बात का सुकून तो है की उसके बच्चे का इलाज सही तरह से हो रहा है . . हम वहां पर 10 दिन रहे और रोज उस औरत को सामने से गुजरते हुए देखते थे और साथ ही साथ एक खूबी भी की उसके चेहरे पे शिकन का नामोनिशान नहीं था वो अपने हाल में खुश थी और किसी से कोई दया या भीख की इच्छा भी नहीं रखती थी , उसका पति किसी और औरत के साथ उसी अस्पताल में पांचवे माले पर है और उसे इस बात की कोई फ़िक्र भी नहीं की उसकी पत्नी किस हाल में है . . अपनी रंगरिलियो के चक्कर में उस आदमी ने जो काम किया है उसके लिए कोई आसान सजा नाकाबिल होगी, , तो इस पूरी घटना का सार ये है की नारीवाद पर गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाने वाले लोग जो नारियो के हित के लिए बड़ी बड़ी डींगे हांकते है वो कहाँ चले जाते है जब इस तरह के मजलूमों को उनकी जरुरत होती है . मेरे भाई बड़ी बड़ी गाडियों में बैठ कर लम्बा लम्बा भाषण लिखने वालो , दलित , मजदूर , गरीबो का मसीहा बनने वालो आप क्यों पीछे रह जाते हो जब सच में आपके शब्दों को हकीकत में बदलने का वक़्त आता है. .अगर आपस में लड़ने से और ठाकुर बाभन बनिया और दलित बन्ने से फुर्सत मिले तो एक बार सोच कर जरुर देखिएगा की मजबूर और पीड़ित हर वर्ग में है इसलिए राजनीती फिर कभी कर लेंगे अभी तो ऐसे ट्रक ड्राईवर की धुलाई होनी चाहिए और पड़नी ही चाहिए 4 लात ऐसे लोगो के स्थान विशेष पर ..
By Rangoli Vaish
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