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Ghazal

Updated: Jan 17




By Murtaza Ansari

आओ बैठो मेरी कुछ बात अभी बाकी है

इस खामोश शख्स की आवाज़ अभी बाकी है

ऐ काश यहाँ पर होता कोई अपना मेरा

मेरे अपनों की मेरे दिल मे याद अभी बाकी है


कुछ तो भरम रखती दुनिया जिसम का मेरे

जल गया जिसम मगर राख अभी बाकी है


अब तो बेजान जिस्म ही है लेकिन

नामा-ए-आमाल के औराक अभी बाकी हैं


अब तो आजा के गम हल्का हो मेरा

अब भी वक्त है कुछ रात अभी बाकी है


राह देख कर दिल न खुश कर अन्सार

इस सफर में कई खतरात अभी बाकी है


अब भी उम्मीद है बची मेरे दिल के अंदर

दुनिया के मुसव्वीर की भी ज़ात अभी बाकी है


बोहोत देर तक सुना है थोड़ा और भी सुन लें

मुझ जैसे कमज़र्फ की फरियाद अभी बाकी है


By Murtaza Ansari





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8 Comments

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Divyansh Maurya
Divyansh Maurya
7 days ago
Rated 5 out of 5 stars.

Bhot khubsurat Ghazal likhe ho Murtaza Bhai..!!

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Rated 5 out of 5 stars.

Murtaza,

तेरी वाणी में छुपा है अमृत का स्वर अनमोल,

ग़ज़ल तेरे हैं मोती, हर वाक्य रत्न अनमोल।

जब बोलता है तू, तो सुनते हैं सब मौन होकर,

तेरी बातें हैं प्रेम की दीपक, प्रकाश अनमोल।


Kuch panktiyān likhne kī koshīsh thī tere tārīf me😅 i hope achhā lagā hogā...😊


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Bohot shukriya pyare siddhanta

Edited
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Rated 5 out of 5 stars.

Khubsurat gazal..

Aur puri beher k sath...

Bhut khubsurat likha bhai✨

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Rated 5 out of 5 stars.

Waa Murtaza bhai kya khoob likha h 🙌🙌🙌🙌

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Rated 5 out of 5 stars.

Wah wah , bohot khoob

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