By Gyan Prakash
वफ़ा, मुहब्बत, क्या-क्या नाम हैं तेरे
ये चाँद-तारे भी ग़ुलाम हैं तेरे
इश्क़ करना अगर गुनाह है, तो सजा दे
कबूल हमें सारे इलज़ाम हैं तेरे
पास इस फ़क़ीर के बाकि कुछ न बचा
ये कलम तेरी है, ये कलाम हैं तेरे
हमें रिन्द बुलाने वालो से कह दो
मयखाना तेरा, बोतल तेरी, और ये जाम हैं तेरे
लोग पूछते हैं, कारोबार क्या करते हो
बता दे उन्हें हम तो बस ग़ुलाम हैं तेरे
By Gyan Prakash
Waah...waah
Great
Nice
Kya baat, sandar.
Kya baat