By Manisha Mullick
रिश्ते जलने की
बू नहीं आती,
ना फूल बचते हैं चुनने के लिए
और ना राख
किसी गंगा में बहाने के लिए,
रिश्ते तो बस
अनकहे शब्दों में घुटते रहते हैं
कहीं मन के अंदर…
बू नहीं आती पर..
रिश्ते जलने की,
न आखों के अंदर
न आंखो के बाहर ।
उमृ भर,
और
मर जाते हैं ..जल जाते हैं
By Manisha Mullick
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