By Shivani Sharma
क्या कह कर गया ये गुजरा साल,
पूछ कर गया कौन से सवाल,
होठों की हँसी पर आकर स्वत हुआ खतम्
था आँखों की नमीं पर,
तसल्ली दे गया, या इशारे किए कमी पर,
कहाँ लाया दूरी और कहाँ, नज़दीकी
मीठे हुए किस्से, कि कहानियाँ फीकी
रही उम्मीद कायम कि आस टूटी
नज़रें मिलती है खुद से कि रहती रूठी
कितने मिटा गया और कितने दे गया ख्यात
क्या कह कर गया ये गुज़रा साल?
By Shivani Sharma
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