By Tahrim Fatima
जब दिल ही ना दर्द-शि'आर, ना दर्द-आशना हो सका...
ऐसी दिल की लगी का क्या फायदा??
[दर्द-शि'आर - दर्द को पहचानने वाला]
[दर्द-आशना - दर्द को समझने वाला]
[दिल की लगी- सच्चा प्यार]
जो सौदा-ए-फुज़लां, न रक़म करे..
जो सेहरा-ए-रूह, ना गुलशन करे..
ऐसे शायर के होने का, क्या फायदा??
ऐसे सजने संवरने का, क्या फायदा??
[सौदा-ए-फुजलां - बुद्धिजीवियों
का पागलपन]
[रक़म - लिखने की क्रिया]
[सेहरा-ए-रूह - बंजर रूह]
ना काश्तकार को जिस से, सुकून मिले..
ना बच्चे ही जिस्मे, खेल सकें..
ऐसी हुकूमत के होने का, क्या फायदा??
ऐसी बारिश बरसने का, क्या फायदा??
[काश्तकार - किसान]
किसी भुखा को जो ना, सुला सके..
शिकस्ता-ए-इश्क को भी ना, रुला सके..
ऐसी शब का भला, क्या फायदा??
ऐसे चांद का बोलो, क्या फायदा??
[शिकस्ता-ए-इश्क - प्रम में
हारा हुआ व्यक्ति]
जो मस्जिद से मुल्ले को, ना फ़िरा सके..
जो साक़ी को मुसल्ले पे, ना बिठा सके..
ऐसे मयकदे का शहर में, क्या फायदा??
ऐसी मस्जिद का बोलो, क्या फायदा??
[मुसल्ले - एक जगह/दरी,
विशेष रूप से नमाज़ के लिए]
ना कोई ज़ुल्मत कदा, मुन्हदिम हुआ..
ना कोई मायुस दिल ही रोशन हुआ..
ऐसे बादल के गरजने का, क्या फायदा??
ऐसी बिजली के चमकने का, क्या फायदा??
[ज़ुल्मत कदा - अत्याचार का घर]
[मुन्हदिम - ध्वस्त]
किसी मजबूर की बेबसी, न मिटा सकी..
बिन आह के, ना जो दुनिया, निभा सकी..
ऐसे तख्त-ओ-ताज का क्या फायदा??
ऐसे रीति-रिवाज का क्या फायदा??
जहां किस्मत-ए-बद से किसी को, पनाह नहीं..
जहां बुज़ुर्गों की कोई भी जगह नहीं..
ऐसे दर का बोलो, क्या फायदा??
ऐसे घर का बोलो, क्या फायदा??
[पनाह - शरण/ढाल]
मेरी अदना सी रूह, झूलस रही..
प्यासा, मुश्त भर दिल, तड़प रहा..
पास दरिया के होने का क्या फायदा??
सात समुंदर के होने का क्या फायदा??
[अदना - साधारण]
[मुश्त - मुट्ठी भर (छोटा-सा)]
ना धड़कन किसी की.. ना किसी की दुआ..
ना ग़ज़ल किसी की.. ना ही दवा..
तुम हो तहरीम, पर तुम्हारे होने का,
बोलो ना, क्या फ़ायदा??
By Tahrim Fatima
It's deeply philosophical and bitter truth..we need to ponder upon such simple and basic questions..to improve us for the better.