By Tanya Lohia
काश की तुम कोई मंदिर होते
तो मैं जब मन तुम्हारे दर्शन कर आती।
काश की तुम कोई सागर होते
तो जब मन तुम्हे पी पाती।
काश की तुम हवा होते
तो जब मन तुम्हारा स्पर्श कर पाती।
काश की तुम कोई फूल होते
तो जब मन तुम्हारी महक खुद में भर पाती।
काश की तुम कोई कम्बल होते
तो जब मन तुम्हारी गरमाहत एहसास कर पाती।
पर वो कुम्हार इतना बेरहम भी नहीं
उसने तुम्हे दर्द बनाकर अमर कर दिया.
ऊपर वाले ने तुम्हे मेरा जैसा बनाकर
ये आइना अमर कर दिया।
ओ मेरे हमसफ़र बस तुम्हे मेरा बनाता अगर वो खुदा
तो तुम्हे खोने का डर ना सताता।
By Tanya Lohia
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