By Upasana Gupta
रुकना जो जाने नहीं, न ऊंचा उड़ने की है आशा,
साथ निभाना जिसने सीखा, करे जो अपना सबकुछ सांझा,
इस दुनिया में बस इतनी सी है
हर औरत की परिभाषा।।
एक रूप है जिसका साहस, दूजे में बस भरी है ममता,
ज़मीं से लेकर अन्तरिक्ष तक कार्य कुशल करने की क्षमता।
चमत्कार है ये कुदरत का, या कुदरत को खुद इसने तराशा
इस दुनिया में बस इतनी सी है
हर औरत की परिभाषा।।
हर एक रूप में लगती ये कितनी प्यारी,
मां, पत्नी, बहन या बेटी हो दुलारी,
नापतोल से ज्यादा समझे, सरल सीधी प्रेम की भाषा
इस दुनिया में बस इतनी सी है
हर औरत की परिभाषा।।
खुद अपने लिए नहीं, ये तो बस अपनों के लिए है जीती
त्याग और समर्पण का ये, इस जग को है परिचय देती।
निराशाओं के आगे भी हौसला न हारे जरा सा।
इस दुनिया में बस इतनी सी है
हर औरत की परिभाषा।।
By Upasana Gupta
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