By Prachi Raghuwanshi
हां, उनका इत्र आज भी मुझे याद हैहां, उनकी आँखों का वो गेरेुआ रंग मुझे याद हैहां, याद है मुझे उनका हर तरीका, हर सलिकाक्योंकि अब वो तरीका मैं भी अपना रही हूंक्योंकि वो गेरेुआ रंग हर कहीं ढूंढ रही हूंहां, अब वो इत्र मैं भी पहन रही हूं
उनसे दोस्ती कर कर भी देख ली थी
उनसे इश्क़ निभा कर भी देख लिया था
वो अजनबी तो पहले भी थे
अब खुद की खिदमत से उन्हें अनजान कर कर भी देख लिया था
ना उनसे कोई ज़िन्दगी में आया
ना उनसे कोई दिल को भाया
यह प्यार का कैसा जुनून है जनाब
दुनिया ने इश्क़ कहा
और जुबां पर उनका नाम आया
By Prachi Raghuwanshi
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