By Shudhanshu Pandey
तेज़ है उसमें सूरज सा शीतल वो चांद के जैसी है,
त्याग में है संतोषी मां वो, रूप में रंभा जैसी है।
जिह्वा पर मां सरस्वती का साक्षात उपकार है,
धन है इसके कदमों में ये ख़ुद ही धन की देवी है।
ख्याल करे वो बच्चों सा जिद्द भी पूरी कर देती है,
नाम ही खुशबू है उसका वो मंत्रमुग्ध कर देती है।
कोयल सी वाणी जिसकी वो तो मीठा ही बोलेगी,
मधु तो मीठी होती है वो ज़हर कहां से घोलेगी।
आंखों में ममता है उसके तन पर प्यार का गहना है,
वो मां नहीं पर मां जैसी क्या उसके रूप का कहना है।
अनमोल है बंधन उसके संग इस प्रीत का कोई मोल नहीं,
वो देवी कोई और नहीं वो मेरी प्यारी बहना है।
By Shudhanshu Pandey
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