By Meenakshi Singhal
प्यार आता है मुझे
जब मेरी शरारतों को देख तुम भी बच्चे बन जाते हो
जब सब कुछ भूलकर तुम मुझे सुकून से गले लगाते हो
जब तुम मेरे बगल में बैठ कर बच्चों की तरह खिलखिलाते हो
प्यार आता है मुझे,
जब मेरी हर ख्वाहिश को कहने से पहले पूरा कर देते हो
जब तुम खास मेरे लिए प्यार से खाना बनाते हो
जब तुम प्यार से मेरे लिए अनोखे तोहफे लाते हो
प्यार आता है मुझे
जब मेरी बातों को आंखो में आंखे डाल प्यार से सुनते हो
जब मुझे इंतजार करते देख गले लगकर सारी थकन भूल जाते हो
जब कुछ खास वक्त निकल कर अपनी धन्नो पर घुमाने ले जाते हो
प्यार आता है मुझे
जब तुम बारिश में मेरे साथ अटखेलियां करते हो
जब तुम बच्चों की तरह मुझे रूठने मनाने का खेल खेलते हो
जब तुम मेरे मुरझाये चेहरे पर तुम फटाक से हंसी ला देते हो
प्यार आता है मुझे
जब तुम अपने अंदाज़ में मेरी सारी नाराज़गी को भूला देते हो
जब तुम इशारों इशारों में मुझसे अपनी बात कह जाते हो
जब तुम जरूरत पड़ने पर मेरे लिए हर किरदार निभाते हो
प्यार आता है मुझे
जब हर खास मोके पर तुम अनोखे उपहार देते हो
जब मेरे हर वक्त को तुम यादगार बनते हो
जब तुम मुझे मेरे साथ खड़े होने का एहसास दिलाते हो
प्यार आता है मुझे
जब मुझे निडर होकर आगे बढ़ना सिखाते हो
जब पूरी दुनिया की नजरों से बचाके मुझे महफूज होने का एहसास फैलाते हो
जब मेरी खुशी के लिए तुम सबसे लड़ जाते हो
प्यार आता है मुझे
जब अपने दिल की बात मुझे बताते हो
जब मुझपर अपना हक जताते हो
जब मेरे सपनों को अपना बनाते हो
प्यार आता है मुझे
जब मुझ पर अपना विश्वास दिखाते हो
जब मुझे दुर्गा की तरह मजबूत बताते हो
जब मुझे मेरी काबिलियत से रूबरू कराते हो
प्यार आता है मुझे
जब मुझे अपनी जिंदगी सबसे ख़ूबसूरत हिस्सा बताते हो
जब मुझे अपने प्यार का इज़हार कर दिल की बातें बताते हो
जब मेरी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी मनाते हो
प्यार आता है मुझे
जब मुझे अपने घर की मालकिन बुलाते हो
जब बोलते हो कि ये घर तेरे बिना मकान है
तू नहीं हो तो ये घर सुनसान है
प्यार आता है मुझे
प्यार है तुमसे इतना कि बाकी सब कुछ भूला बैठी हु
माना मैंने तुम्हारा दिल दुखाया बहुत है पर
बहुत मुश्किलों के बाद प्यार करने का आया ये वक्त है
अब जिंदगी का हर सपना तेरे साथ देखती हूं
आज कल ख्वावों में भी हमारा नन्हा अंश देखती हु
अब मैं एक अपनी खुशहाल छोटी सी दुनिया बसाने के सपने सजोती हूं
हर घड़ी बस मैं हमारा अच्छा भविष्य सोचती हूं
By Meenakshi Singhal
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