top of page

Raatein Suhaani

By Prabhneet Singh Ahuja


रातें सुहानी, सर्द सौगातें

परदा-ए-दिल पोशी में जिंदगी कटी है;

यूं क्या किसी को ग़लत ठहराना,

अपनी तो गलतियों की वसीयत बड़ी है;


बंजर ज़मीनों का आवारा मुसाफ़िर

सहरा-नवर्दी में वो गुलाब खड़ी है

तुम पर खुदा की तमाम रहमत

संग-दिल पर नूर-ए-महताब की आज परछाई पड़ी है।


By Prabhneet Singh Ahuja


0 views0 comments

Recent Posts

See All

Visitor

Not A War

Yorumlar

5 üzerinden 0 yıldız
Henüz hiç puanlama yok

Puanlama ekleyin
bottom of page