By Surinder Kumar
दोस्तो आज एक खत ले के आया हूँ। जो एक दादा जी ने आपने पोते को लिखा । पोता जो engineering कर चुका है । पिछले 5 साल से कोई काम नही कर रहा और अपनी ज़िंदगी को एक बेफिक्री से जी ही रहा है । तो शुरू करता हूँ । मेरे प्यारे गोलू, कैसा है तू। आज मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है इस खत को आगे ध्यान से पड़ियो । बेटा तुमने Physics में एक तो शब्द पडा होगा। जिसको इंग्लिश में Tension और हिंदी में तनाव कहते है । और ये ही शब्द हम अपनी आम ज़िन्दगी में भी इस्तेमाल करते है । अब पहले बात करते है हम phyiscs वाली Tension की । इसको समझने के लिए हम एक रस्सी ले लेते है। बिल्कुल नई वाली रस्सी। उस रस्सी को पैकेट से खोलो। और उसके एक सिरों को एक खूंटी से बांध दो। जब तक रस्सी का दूसरा सिरा कहीं और नहीं बंधता तब तक उस रस्सी में कोई तनाव नही होगा । यह तुम भी जानते हो। और साइंस की भाषा में बोले तो Zero Tension.
और हां, एक बता दू रस्सी का कोई भी इस्तेमाल ज़ीरो टेंशन में नही हो सकता । चाहे उस पे कपड़े सुखाने हो, जानवर को बांधना हो या फिर उस पे अपने आप को ही क्यों ना टांगना हो ।ख़ैर छोड़, हम तो अपनी रस्सी का इस्तेमाल करते है और उसके दूसरे सिरे को एक दूर दूसरी खूंटी से बांध देते है । उस पर हमने कपड़े जो टांगने है । एक बात और याद रखना रस्सी को हम जीतना खींच के बांधेगे, उस में टेंशन उतनी ही ज़्यादा हो गयी। ज़्यादा टेंशन होने से रस्सी पे हम ज़्यादा कपड़े टांग सकते है । और टेंशन कम होने से रस्सी, कम कपड़े ही झेल पाएगी । बस बेटा, अब कुछ इसी रस्सी की तरह है हमारी ज़िंदगी। जो पैकेट से खुलते ही एक खूंटी से बंध जाती है उस खूंटी को हम परिवार कहते है । और ज़िन्दगी में टेंशन तब ही आती है, जब हम दूसरी खूंटी से बंधते है । यहाँ पे टेंशन का मतलब हमारी आम ज़िन्दगी वाला ही है और दूसरी खूंटी से मेरा मतलब हमारे अपने काम से है । जैसे मेने पहले ही बताया बिना टेंशन से रस्सी से कोई काम नही ले सकते और कम टेंशन का मतलब रस्सी पे कम कपड़े । और दूसरे शब्दों में बोले तो ज़्यादा ख़्वाशियों को पाने की कम क्षमता का होना। अब तक तुम ये मूल मन्त्र समझ गए हो गए। कि टेंशन एक तो टेंशन जरूरी है और दूसरा टेंशन बढ़ेगी, तो तुम्हारी ख़्वाशियों को पाने की क्षमता बढ़ेगी और तुम लग जाओगे अपनी टेंशन को बढ़ाने में । पर रुको इस कहानी का एक हिस्सा और भी है । हर रस्सी की अपनी एक क्षमता होती है । कि वह किस हद तक टेंशन को सह सख्ती है । अगर टेंशन उससे ज़्यादा हो जाएगी तो रस्सी टूट जायगी । पर हद से ज़्यादा tension होने से रस्सी हमेशा नही टूटती है । रस्सी के टुटने का एक कारण और भी होता है । वो है, दोनों सिरों की गांठो की मजबूती । अगर दोनों गांठों में से एक भी कमज़ोर हो तो टेंशन बढ़ने पे वह कमज़ोर गांठ रस्सी के टूटने से पहले खुल जाएगी और रस्सी टूटने से बच जाएगी । पर हां, गांठ खुलने से हमारी ख़्वाशिये जो रस्सी पे पड़ीं थी वो नीचे गिर के विखर जायेंगी। पर ख़्वाशियों का विखर के गिरना, रस्सी के टूटने से तो अच्छा ही है । क्योंकि हम दूबारा गांठ बांध कर Tesnion और खवांशियों को अपनी क्षमता के अनुसार कर के जिंदगी दुबारा जी सकते है । अंत में मै अपने यह खत को तीन बातों से समाप्त करता हूं । एक ज़िन्दगी में टेंशन होना ज़रूरी है उसके बिना ज़िन्दगी व्यर्थ है । दूसरा गांठो की मजबूती को थोड़ा कम रख कि रस्सी के टूटने से पहले गांठ खुल जाए । तीसरी और अहम बात ज़्यादा ख़्वाशियों को अगर पाना हो तो टेंशन के साथ साथ रस्सी की ताकत को बढ़ाने पे भी काम करो ।
एक बात और जान लो
“मधुर संगीत है गिटार में, सही टेंशन है उसकी तार में”
By Surinder Kumar
Deep and true!
You weave interesting narrative through storytelling. Keep writing buddy 🙂
Very nice story 👍
Very nice story
Your words have a powerful appeal to the fabric of human emotions, buddy. Great work! Keep it up.