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Sambhaji Maharaj

By Varad Ashtikar


|| एक थे पराक्रमी महाराज,

जिन्होने किया सब पर राज ||


|| नाजुक आयु में खोया उन्होंने अपनी माँ को,

फिर थामा दादी जीजाबाई ने उनके हाथ को ||


|| पिता थे व्यस्त करने हिंदवी स्वराज्य का विस्तार,

जीजाबाई ने कराया उनसे वेदों,उपनिषदों का सार ||


|| चौदा वर्ष में बने नौ भाषाओं के पंडित,

जोड़ा भारत को जिसे मुघलों ने किया था खंडित ||


|| कभी ना बिताया आनंदमय क्षण होकर युवराज,

गए अपने पिता के साथ आगरा और हिला दिया उस क्रूर बादशाह का ताज ||

|| शस्त्र और शास्त्र में बनें थे वो विद्वान,

गरीबों को करते थे हीरा-सोना-चांदी दान ||


|| लिखें आपने श्रीबुधभूषण,नखशिखा,नायिकाभेद जैसे अद्भुत महाग्रंथ,

जुड गए सभी लोग आपके साथ छोड़कर जात-पात और पंथ ||


|| जब हुआ था हिन्दवी स्वराज्य का सूर्यास्त,

आए समक्ष वे करके हर षड्यंत्र को परास्त ||


|| प्रारंभ हुआ इतिहास में एक नया पर्व,

उनकी प्रगति देखकर सबको हुआ गर्व ||


|| लढे अपने काल में उन्होंने एकसौ बीस युद्ध,

अपराजित रहकर किया उन्होंने स्वयं को सिद्ध ||


|| मिल गए म्लेंच्छ और यवन मारने राजन को एक साथ,

अंत मे फैलाने पड़े दोनों को राजन समक्ष भीख के लिए हाथ ||





|| त्रस्त हुआ औरंगजेब आया दिल्ली छोड़ सह्याद्रि में,

अनजान था इस बात से की चला आया सिंह की गुफा में ||


|| बीतते गए वर्ष हारता गया औरंग,

भगवा समक्ष फीका पडा हरा रंग ||


|| करने औरंगज़ेब को जड़ से समाप्त गए संगमेश्वर जमा करने महासेना,

घात किया अपने ही साले गणोजी शिर्के ने ,जकड़ा उनको देख निकला प्रजा का रोना ||


|| बाँधा उनकों हाथि की बेड़ियों में,

तपती सलीयां डाली आँखों मे ||


|| उधेड़ दी चमड़ी,काटी गई जबान,

उखड़े गए बाल,तोडे गए नाखून


क्षतिग्रस्त हुआ शरीर का हर अवयव,

फीका पडा औरंगज़ेब का हर दबाव ||


|| औरंगज़ेब ने किए असंख्य प्रयत्न करवाने राजन को स्वीकार इस्लाम,

विदुषक के कपड़े पहनाकर ऊंट पर उल्टा करके मारा गया सरेआम ||


|| उनके मित्र कवि कलश को उनके नेत्रों समक्ष मार डाला,

फिर भी वो मरहट्टा जिगरवाला उस औरंगज़ेब की शर्तें नही माना ||


|| चली उनपर ये नरकयातना चालीस दिवस,

काट दिया उनका सर जब थी रात अमावस ||


|| दिया अपना बलिदान इस सनातन धर्म,हिंदवी स्वराज्य और प्रजा के लिए, राजाजी,

नमन करता हूँ आपके बलिदान दिवस पर महाराज छत्रपति श्री संभाजी ||



By Varad Ashtikar




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