Shaam
- Hashtag Kalakar
- Dec 24, 2022
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By Nidhi Pant
लाख बुरे हों दिन तो हो जाने दो, चंद शामें अच्छी गुजर जाएं बस वही काफी है। हाथ कोई न भी थामे तो फिक्र किस बात की, खाली हाथों में कुछ नया रखने की जगह है बस यही काफी है। सूरज की रोशनी हर बार आकर दस्तक न दे तो गम किस बात का, बादलों ने अपना साथ नहीं छोड़ा बस यही काफी है। उम्र को भी उम्र ने आकर झुंझला दिया तो क्या हुआ, कितने मंजरों से इन आंखों को मिला दिया बस यही काफी है। पूरा जी लेने का अवसर आ नहीं पाया तो गिला क्या किया जाए, अभी इस लम्हे को जीवन से भर दिया जाए बस वही काफी है।
By Nidhi Pant

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