By Vaishali Bhadauriya
इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता
जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है
भले ही वो बेवफा निकला हो
पर उसने मेरी किस्मत बदल दी है...................
हम बेवफा ना कहेंगे उनको
शायद उनकी भी कुछ मजबूरी थी
हम दिल के हाथो मजबूर थे
और उनके माँ-बाप की इज्जत उनकी कमजोरी थी...................
महफ़िल में उनका नाम लेकर
उन्हें बदनाम ना करेंगे
अब चाहे वो कितना भी गिड़गिड़ा ले
हमारे लिए वो अंजान ही रहेंगे......................
इश्क के दर्द में
लोग शराब पीते हैं
पर हमने आंसू पिये हैं
हमें छोड़ देने वालो को क्या पता
हमने उन्हें पाने के लिए
कितने सजदे किये हैं..................................
गैरो को मुस्कुराकर गले लगाते हैं
और हमसे भरी महफ़िल में नज़रे चुराते हैं
सबके सामने हमें अपनी जान बुलाते हैं
और शामे किसी और की बाहों में बिताते हैं
और बेहयाई तो देखिये जनाब की
बेवफाई का इल्ज़ाम भी हम पर ही लगाते हैं..................................
By Vaishali Bhadauriya
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