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Subah Savere

By Arpit Pokharna


सुबह- सवेरे आसमान में तारे थे और एक पल को सारे सुखन हमारे थे उसी ग़ज़ल का हर्फ़-ओ-लहजा भूल गए जिस ग़ज़ल के सारे शेर हमारे थे हमनें तो सुबह को सपने देखे है सारी रात तो ख़्वाब नींद के मारे थे


उसका अपना सपना टूटा जाता था उसके जैसे लोग तो कितने सारे थे मेरे दुख में रो देते, समझाते थे भोले थे वो लोग, वो कितने प्यारे थे वो तो जब साहिल पे डूबI तो जाना मेरी समझ से कितने दूर किनारे थे सुबह- सवेरे आसमान में तारे थे और एक पल को सारे सुखन हमारे थे।।


By Arpit Pokharna



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5 Comments

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Unknown member
Jan 24, 2023

👌👌

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Unknown member
Jan 11, 2023

Very nice

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Unknown member
Jan 11, 2023

Nice

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Unknown member
Jan 11, 2023

💙💙

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Unknown member
Jan 11, 2023

Beautiful ❤️

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